हम जन्म लेते ही मुस्कुराते हे किया?
हम नही हमें देखकर हमारे रिश्ते दार मुस्कुराते है.धीरे धीरे हम भी हसते है और हमें देखकर वह भी हसने लगते हैं,
बचपन में ही हमें दुसरे को हसाते है लेकिन बड़े हने पर दूसरे को तो अलग ही बात है खुद हचने के लिए भूल जाते हैं। एसा किसलिए होता है। मुस्कुराने से हमारा दिल और दिमाग refresh हो जाता है। यानि जो काम हम दिमाग को दि है वह काम दिमाग खुशी खुशी करते हैं और रिजाल भी +ve आते ही ओर दिल भी चान्त रहते हैं। इन्सान को हसने के लिए 200 से अधिक ग्रन्थों का प्रयोग होता है, इस बाहाने से अपने माउथ का exercise भी होती है।
अगर आप सुबह-सुबह किसी को हसा पाते हो तो देखना आपका दिन हस्ते हस्ते निकल जायेगा।तो हस्ते रहिए दूसरे को भी हसाते रहिए जिन्दगी में खुशी हस्ते हस्ते आएगी।
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